6 दिसंबर, 2021, भारतीय संविधान के मुख्य वास्तुकार डॉ बीआर अंबेडकर की 65 वीं पुण्यतिथि है। समाज सुधारक, अर्थशास्त्री, विचारक, राजनीतिज्ञ और स्वतंत्र भारत के पहले कानून मंत्री भीमराव रामजी अंबेडकर ने अपनी नींद में रहते हुए अंतिम सांस ली और इस दिन को महापरिनिर्वाण दिवस माना जाता है।
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65 वाँ महापरिनिर्वाण दिवस (Mahaparinirvan Diwas)
डॉ. भीमराव अंबेडकर की पुण्यतिथि 6 दिसंबर को प्रत्येक वर्ष महापरिनिर्वाण दिवस (Mahaparinirvan Diwas) के रूप में मनाया जाता है।
चर्चा में क्यों?
- बी.आर. अंबेडकर, जिन्हें बाबासाहेब के नाम से भी जाना जाता है उनकी पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में महापरिनिर्वाण दिवस हर साल 6 दिसंबर को मनाया जाता है।
- यह दिन भारत के राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्रों में व्यापक रूप से मनाया जाता है। संविधान के मुख्य वास्तुकार होने के नाते, डॉ. अंबेडकर जनता और राजनीतिक महकमे के लोगों के बीच सम्मान और प्रतिष्ठा का स्थान रखते हैं।
- डॉ. अंबेडकर की याद में पूरे देशभर में कई स्मरणीय कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। विशेष कार्यक्रम मुंबई, महाराष्ट्र में चैत्य भूमि में आयोजित किए जाते हैं, जहां उनका अंतिम संस्कार किया गया था।
- राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली भी इस दिन कई तरह के आयोजन करती है। इन कार्यक्रमों में वरिष्ठ राजनीतिक नेता, नौकरशाह और अन्य लोग शामिल होते हैं।
महापरिनिर्वाण दिवस का महत्व
- डॉ. बी. आर. अम्बेडकर उन दुर्लभ व्यक्तित्वों में से एक थे जिन्होंने भारत और भारतीय समाज के भविष्य के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। भारत में आज दलितों को जिस स्थिति का आनंद मिल रहा है वह केवल इसलिए है क्योंकि बाबा साहेब ने उनके लिए संघर्ष किया था।
महापरिनिर्वाण दिवस क्यों मनाया जाता है?
- महापरिनिर्वाण दिवस भारत में हर साल 6 दिसंबर को मनाया जाता है। वर्ष 1956 में उसी दिन, भारत के महानतम सामाजिक कार्यकर्ता और राजनीतिक हस्तियों में से एक, डॉ. बी. आर. अंबेडकर ने लंबी बीमारी के बाद अंतिम सांस ली थी।
बाबासाहेब डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर – एक सामाज सुधारक
- बी. आर. अम्बेडकर एक ऐसा नाम है, जो भारतीय समाज के सभी वर्गों के लिए सम्मान की आज्ञा देता है। उनका सम्मान किया गया और उन्हें अभी भी बहुत सम्मान के साथ उच्च जातियों और भारत की निचली जाति द्वारा देखा जाता है।
- उनका जन्म 14 अप्रैल, 1891 को महू जो वर्तमान में मध्य प्रदेश में स्थित है वहां के एक गरीब व निम्न जाति के परिवार में हुआ था; हालाँकि, वे मूल रूप से महाराष्ट्र के रत्नागिरी के थे।
- एक नीची जाति से ताल्लुख रखने वाले, डॉ. अंबेडकर ने बाल्यावस्था से ही स्कूल और समाज में गंभीर भेदभाव का सामना किया था। स्कूल में, निचली जाति के छात्रों के लिए एक अलग व्यवस्था थी और उन्हें एक ही कंटेनर से पानी पीने की अनुमति भी नहीं थी, जो उच्च जाति के बच्चों के लिए था।
चैत्य भूमि, मुंबई, महाराष्ट्र
- चैत्य भूमि, मुंबई, महाराष्ट्र में स्थित है जहाँ बाबासाहेब का अंतिम संस्कार किया गया था। यह स्थान अब डॉ. अंबेडकर स्मारक के रूप में बदल गया है। देश में किसी भी अन्य स्मारक के विपरीत, चैत्य भूमि मुख्य रूप से निचली जाति के साथ-साथ बौद्धों के लिए भी श्रद्धा का स्थान माना जाता है।
बी आर अंबेडकर के बारे में
14 अप्रैल, 1891 को मध्य प्रदेश में जन्मे अंबेडकर ने बॉम्बे विश्वविद्यालय, कोलंबिया विश्वविद्यालय के तहत एल्फिंस्टन कॉलेज में अपनी शिक्षा पूरी की थी और फिर लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से अपना बार कोर्स पूरा किया था ।
एक क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानी, अंबेडकर ने जवाहरलाल नेहरू और गांधी के साथ मोर्चे का नेतृत्व किया था और समाज के गरीब और पिछड़े वर्गों के उत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। अंबेडकर ने दलित बौद्ध अभियान को आगे बढ़ाया और उनके समान मानव अधिकारों और बेहतरी के लिए अथक प्रयास किया।
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