Krishna Aarti, भगवान श्री कृष्ण कन्हैया की आरती

Krishna Aarti: भगवान श्री कृष्ण हिंदू धर्म में सबसे प्रचलित हिंदू ग्रंथ भगवत गीता हो साक्षात प्रवचन के रूप में स्थापित किया था. भगवान श्री कृष्ण की मान्यता सिर्फ हिंदू धर्म में ही नहीं कई धर्मों के लोग उनकी पूजा करते हैं।और उनके बताए गए रास्तों पर अपना जीवन समर्पित करते हैं।

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image credit- Pinterest

आज 8 अगस्त 2023 को कृष्ण जन्माष्टमी है और इस पावन पर्व पर कृष्ण कन्हैया की आरती को जरूर से मिलन करना चाहिए।

Krishna Aarti कृष्ण कन्हैया की सबसे प्रचलित आरती

वैसे तो भगवान श्रीकृष्ण की कई प्रकार की आरती प्रचलन में हैं लेकिन इन सब में कृष्ण कन्हैया की आरती सबसे ज्यादा सुप्रसिद्ध और गाए जाने वाली आरती है इसमें भगवान श्री कृष्ण के बचपन और किशोरावस्था के गुणगान किए गए हैं तो चलो देखते हैं कृष्ण कन्हैया की आरती….

Krishna Aarti
Krishna Aarti

“आरती श्री कृष्ण कन्हैया की,

अधरधर मुरली बजैया की,

आरती श्री कृष्ण कन्हैया की

अधरधर मुरली बजैया की।

श्री कृष्ण तुम मथुरा जन्म लियो,

नंद घर मंगलाचार कियो,

यशोदा गोद खिलैया की,

आरती श्री कृष्ण कन्हैया की।

अधरधर मुरली बजैया की,

आरती श्री कृष्ण कन्हैया की।

श्री कृष्ण तुम यशोदा के छैया,

श्याम बलदाऊ के भैया,

वन-वन धेनु चरैया की,

आरती श्री कृष्ण कन्हैया की।

अधरधर मुरली बजैया की,

आरती श्री कृष्ण कन्हैया की।

कृष्ण तुम कंसासुर मारयो,

श्याम तुम भूमिभार टारयो,

कालिया नाग नथैया की,

आरती श्री कृष्ण कन्हैया की।

अधरधर मुरली बजैया की,

आरती श्री कृष्ण कन्हैया की।

कृष्ण तुम अर्जुन के प्यारे,

श्याम हो भक्तन के रखवारे,

जमुना तट रास रचैया की,

आरती कृष्ण कन्हैया की।

अधरधर मुरली बजैया की,

आरती कृष्ण कन्हैया की।

आरती गाते अमितानन्द,

मन में होता अति आनंद,

विनय है लाज रखैया की,

आरती कृष्ण कन्हैया की।

अधरधर मुरली बजैया की,

आरती कृष्ण कन्हैया की।

श्री कृष्ण कन्हैया की सबसे प्रचलित आरती

आरती श्रीकृष्ण कन्हैया की,

मथुरा-कारागृह-अवतारी,

गोकुल जसुदा-गोद-विहारी,

नंदलाल नटवर गिरिधारी,

वासुदेव हलधर-भैया की ।। आरती ।।
मोर-मुकुट पीताम्बर छाजै,

कटि काछनि, कर मुरलि विराजै,

पूर्ण सरद ससि मुख लखि लाजै,

काम कोटि छबि जितवैया की ।। आरती ।।
गोपीजन-रस-रास-विलासी,

कौरव-कालिय-कंस-बिनासी,

हिमकर-भानु-कृसानु-प्रकासी,

सर्वभूत-हिय-बसवैया की ।। आरती ।।
कहुँ रन चढ़ै भागि कहुँ जावै,

कहुँ नृप कर, कहुँ गाय चरावै,

कहुँ जागेस, बेद जस गावै,

जग नचाय ब्रज-नचवैया की ।। आरती ।।
अगुन-सगुन लीला-बपु-धारी,

अनुपम गीता-ज्ञान-प्रचारी,

‘दामोदर’ सब बिधि बलिहारी,

बिप्र-धेनु-सुर-रखवैया की ।। आरती ।।

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